दिव्यांग पुनर्वास केंद्र मामले मे चल रही जांच रिपोर्ट बदल सकती है ?? आखिर जांच रिपार्ट कब आएगी ???
दमोह. जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में फर्जी नियुक्ति मामले में अभी तक प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की है. तो कुछ और भी खुलासे हुए हैं जिनमें अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं
अपनी कारगुजारियों और तीन फर्जी नियुक्ति के मामले को अभी तक प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है. जिला प्रशासन को गुमराह करने के लिए लगातार रिपोर्ट को लंबित किया जा रहा है. वही सूत्रों का कहना है कि तीन सदस्यीय जांच कमेटी को रिपोर्ट बदलने के लिए भी जिला पंचायत के एक बड़े अधिकारी दबाव बना रहे हैं. ताकि कर्मचारियों की नौकरी न जा पाए. मामले में दमोह कलेक्टर के संज्ञान लेने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. इस बीच कुछ अन्य मामले भी प्रकाश में आए हैं। एक शिकायतकर्ता लाखन सिंह हिंडोरिया निवासी एवं अन्य लोगो ने कलेक्टर महोदय को शिकायत पत्र के माध्यम से नियुक्तियों के साथ-साथ जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों पर अनिमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. गौरतलब है कि पिछले 18 बर्षो से तीन कर्मचारी जिसमे रियाज कुरैशी फिजियोथेपिस्ट, धर्मेन्द्र परिहार लेखपाल एवं प्रदीप नामदेव बिना आदेश एवं बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी कर रहे हैं. मामले में न्यायालय आयुक्त निःशक्त जन भोपाल जांच के आदेश दिए थे. जिसके लिए 15 दिन की समय सीमा में जांच पूरी की जाना थी. सूत्र बताते हैं कि बीते गुरुवार को जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जिला पंचायत की एक आल्हा अधिकारी के समक्ष पेश की थी जिस पर उक्त अधिकारी ने कहा था कि इस रिपोर्ट को बदल दीजिए और ऐसी रिपोर्ट बनाइए जिससे कि तीनों कर्मचारियों की न केवल नौकरी बच जाए बल्कि विभाग पर भी लोग उंगली न उठा सके. क्योंकि इस रिपोर्ट से विभाग की भी बदनामी होगी. लेकिन जांच समिति ने रिपोर्ट बदलने से इंकार कर दिया ? अब सवाल यह उठता है कि उस अधिकारी का ऐसा क्या स्वार्थ था जो जांच रिपोर्ट बदलने का समिति पर दबाव डाल रहा था ?
फर्जी तरीके से नौकरी कर रहा फिजियोथैरेपिस्ट रियाज कुरैशी के बारे में कुछ बातें निकलकर सामने आई हैं.। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रियाज कुरैशी खुद ही मशीनों को बिगाड़ देते हैं। ताकि वह लोगों को अपनी निजी क्लीनिक में भेज सकें और उपचार के नाम पर मोटा पैसा छाप सके. हाल में रियाज कुरेशी शैंडे बजरिया में तथा विवेकानंद नगर में वी केयर के नाम से फिजियोथैरेपी सेंटर चलाते हैं.
जबकि सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की स्पष्ट गाइडलाइन है कि कोई भी कर्मचारी निजी रूप से व्यवसाय को संचालित नहीं कर सकता है. यदि वह ऐसा करता है। तो उसकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी. लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है। फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे लोग नियमों को तोड़ने से भी नहीं हिचकिचा रहे हैं. तो दूसरी ओर अटेंडर प्रदीप नामदेव विभाग में होने वाली आयोजनों में भोजन एवं नाश्ता की सप्लाई करता है। और उसकी बदले में मोटा बिल भुगतान कराता है. लेखपाल धर्मेंद्र परिहार और अटेंडर प्रदीप नामदेव यह दोनों भी योग्यता धारी न होने के बाद भी रियाज कुरैशी के कहने पर उसकी क्लीनिक पर फिजियोथैरेपी की सेवाएं देते हैं. कई बार तो यह लोग घरों पर जाकर भी सेवाएं देते हैं. स्वास्थ्य विभाग से भी जो जानकारी सामने आई है, उसमें रियाज कुरैशी ने दोनों क्लीनिक में से एक का भी पंजीयन विभाग में नहीं कराया है. इस तरह से बिना पंजीयन की यह क्लीनिक अवैध क्लिनिक की श्रेणी में आती हैं. क्लिनिक में ऐसे लोगो से फिजियोथैरेपी का काम करवाया जा रहा है जिनके पास डिग्री और डिप्लोमा भी नहीं है.
जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में पदस्थ कर्मचारी प्रदीप नामदेव के बर्ष 2018 पथरिया क्षेत्र की एक महिला से दिव्यांग प्रमाण पत्र के नाम पर रुपए लिए थे. जिसके बाद तत्कालीन पथरिया पूर्व विधायक श्रीमती रामबाई परिहार कार्यालय पहुँच कर जमकर फटकार लगाई थी और रिश्वत के पैसे वापस करवाए थे. जिसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ था. बावजूद इसके विभागीय और जिला पंचायत के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई तक नहीं की थी.
अभिषेक जैन की रिपोर्ट