दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में 18 वर्ष से बिना नियुक्ति पत्र के कार्य कर रहे तीन कर्मचारियों को कलेक्टर ने दिखाया बाहर का रास्ता
दमोह. दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में बिना नियुक्ति के बरसों से नौकरी कर रहे तीन कर्मचारियों को कलेक्टर ने बर्खास्त कर दिया है। हालांकि मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है. लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने एक बड़ा कदम उठाते हुए दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में वर्षों से बिना पात्रता और बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी कर रहे तीन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। श्री कोचर ने 26 जुलाई को दिए अपने एक आदेश में फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर रियाज कुरैशी, लेखपाल धर्मेंद्र परिहार एवं अटेंडर प्रदीप नामदेव को बर्खास्त कर दिया है. इसके पहले न्यायालय आयुक्त नि:शक्तजन ने तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा प्रेषित की गई रिपोर्ट के आधार पर 4 जून 2024 को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 80 ख के तहत उक्त तीनों कर्मचारियों की नियुक्तियों को निरस्त करते हुए तत्काल प्रभाव से इनके प्रभार वापस लेकर अन्य कर्मचारियों को सौंप जाने तथा आदेश दिनांक से 45 दिन के भीतर विज्ञापन जारी करके उपरोक्त पदों पर नवीन नियुक्तियां करने का आदेश पारित किया था. लेकिन उसके पूर्व ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी के प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर के आदेश पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने तीनों कर्मचारियों को नि:शक्तजन न्यायालय का आदेश आने तक कार्य से विरत करने के आदेश दिए थे. इस आदेश के विरुद्ध यह तीनों कर्मचारी उच्च न्यायालय गए थे एवं वहां से राहत चाही थी. जिस पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए
नि:शक्तजन न्यायालय के आदेश आने तक कार्य से विरत न रखे जाने का अंतरिम आदेश दिया था. इसी बीच निशक्त न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए तीनों कर्मचारियों को बाहर कर दिया था. आयुक्त निःशक्त न्यायालय ने तथा कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह माना गया है कि उक्त तीनों कर्मचारियों के पास कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं थे न वह मांगे जाने पर प्रस्तुत कर पाए जिससे यह प्रमाणित हो सके की यह वैधानिक तरीके से नौकरी कर रहे थे. तीनों कर्मचारियों ने जो भी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे वह कूट रचित थे. तथा उनसे ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं मिला कि उनकी नौकरियां विधि सम्मत तरीके से की गई थी. कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि यह तीनों कर्मचारियों समय-समय पर दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में जाकर केवल आवेदन देकर खाना पूर्ति करते रहे. जबकि इनके आवेदन देने का आशय मात्र इतना था कि यह उच्च न्यायालय में अपने पक्ष में एक मजबूत दस्तावेज तैयार कर सकें. जबकि जिस समय यह कर्मचारी आवेदन देने गए तो आवेदन देकर कार्यालय में नहीं रुके. मात्र पावती लेकर वहां से चले गए. इसमें यह भी कहा गया है कि इन तीनों कर्मचारियों ने आवेदन देने के दौरान प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती संगीता मिश्रा को डरा धमकाकर अभद्र व्यवहार किया, गाली गलौज, धमकी, अमानवीय भाषा का उपयोग किया तथा शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया है. इस संदर्भ में संगीता मिश्रा ने मामले की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों तथा पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन देकर की थी. तदोपरांत जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अर्पित वर्मा ने भी एसपी को एक शासकीय पत्र लिखकर मामले में उक्त तीनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का लेख किया था, लेकिन दुर्भाग्य से पुलिस प्रशासन ने अभी तक इस मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज ही नहीं की है.