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6 वर्षीय थैलेसिमिया पेसेंट को नही मिला रक्त तो पत्रकार ने किया रक्तदान

जिला अस्पताल ब्लड बैंक कर्मी ने किया था मना,डोनर ले आओ

Abhishek jain riport

6 वर्षीय थैलेसिमिया पेसेंट को नही मिला रक्त तो पत्रकार ने किया रक्तदान

जिला अस्पताल ब्लड बैंक कर्मी ने किया था मना,डोनर ले आओ

दमोह: केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार थैलेसीमिया पीड़ितों को निजी और सरकारी ब्लड बैंकों को मुफ्त में रक्त उपलब्ध कराए जाने के निर्देश किए हुए है। जिसमे थैलेसीमिया के मरीज को फ्री में हर माह 2 यूनिट रक्त मुहैया करा सकते है। लेकिन थैलेसीमिया मरीज परिजन के साथ रक्त के लिए भटक रहे है। मामला मंगलवार को दमोह जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल से सामने आया है। जहा पीड़ित 6 वर्षीय आशीष पिता जगदीश लोधी हिंडोरिया वार्ड नम्वर 2 निवासी जिला अस्पताल परिसर में रक्त के लिए भटक रहा था। इस दौरान रक्तदान जीवनदान समिति के सदस्य को सूचना लगने के बाद रक्त मुहैया कराया गया जिसमे रक्त दान करने वाले पत्रकार जितेंद्र गौतम ने एक यूनिट रक्त दान किया

वही आशीष के पिता ने बताया की मेरे बच्चे को थैलेसीमिया है लगातार 2 वर्षो से हर माह रक्त लग रहा है। आज जिला अस्पताल के ब्लड बैंक कर्मी से रक्त मागा तो एक्सचेंज कराने के लिए कहा गया कि कोई डोनर लेकर आओ तो हम बैंक से निकालकर दे देंगे कहा हम कहा तक डोनर लेकर आए हमारे पास अद्वितीय विकलांगता आईडी,आयुष्मान कार्ड से लेकर समस्त कागज है।हर माह परेशान होना पड़ता है। वही समिति के सदस्य लक्ष्मीकांत ने बताया कि जिला अस्पताल में लगभग 38 से 40 मरीज थैलेसीमिया के आते है। जिन्हें हर माह रक्त की आवश्यकता होती है। ब्लड बैंक में रक्त होने के बाद भी परिजनों को भटकना पकड़ा है। जब इन्हें नही मिलता है। तो कुछ दलालों के चक्कर मे फसकर मोटी रकम में उपलब्ध कराया जाता है।

जनसुनवाई में पहुँचा था पीड़ित
वही सरकार के द्वारा हर जिले मे चलाई जा रही जनसुनवाई में पीड़ित मंगलवार को अपने बच्चे को लेकर कलेक्टर के समक्ष पहुँचा जहा कलेक्टर ने पीड़ित को आश्वासन दिया कि अब तुम्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा अब रक्त की व्यवस्था जिला अस्पताल से की जाएगी

जानिए क्या है थैलेसीमिया
यह अनुवांशिक रोग जितना घातक है। सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, परंतु थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है तथा अशक्त होकर हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है। इस बीमारी का मुख्य कारण रक्तदोष होता है। यह बधो को अधिकतर ग्रसित करती है तथा उचित समय पर उपचार न होने पर बधो की मृत्यु तक हो सकती है।

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