आबकारी मेहरबान तो शराब का गोरखधंधा पहलवान
गांवों में अवैध शराब बेचने चिन्हित कर ठेकेदारों ने बनाई डायरी
आबकारी मेहरबान तो शराब का गोरखधंधा पहलवान
गांवों में अवैध शराब बेचने चिन्हित कर ठेकेदारों ने बनाई डायरी
जिसके पास डायरी उसे क्या प्रशासन का फ्री हेंड
दमोह /हटा – वर्तमान में शुरा शौकीनों के बीच एक बात चल रही है कि आबकारी मेहरबान तो शराब का गोरखधंधा पहलवान जी हाँ दरअसल दमोह जिले की हटा विधानसभा की शराब दुकानों के ठेकेदार मां अष्टभुजा ग्रुप द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की बस्ती में देशी शराब की अवैध कलारी संचालित की जा रही है। लगभग हर ग्रामीण क्षेत्रों की बस्ती में देशी शराब बेची जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह कारोबार इतने संगठित तरीके से संचालित हो रहा है कि ब्लैक में शराब बेचने वालों कोे शराब ठेकेदार पाव पर होलोग्राम लगाकर (शराब चिन्हित कर) और डायरी बनाकर शराब देते है। जिनके पास ये डायरियां हैं चिन्हित शराब है, उसे सरकारी अमला विशेष छूट प्रदान करता हुआ नजर आता है। जब मीडिया कर्मी ने डायरी वाले से जानकारी लेने का प्रयास किया तो उसने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि शराब ठेकेदार 10000 रूपए सिक्योरिटी जमा करते है और उसमें 5000 रूपए की शराब उन्हें देते है और अगर हम डायरी वालो को कभी प्रशासनिक अमला पकड़ता भी है, तो हमारे पास अगर 5 पेटी भी शराब रहे तो एक पेटी का केस बनता है और जितनी शराब का केस बनता है, वो शराब ठेकेदार देते है और कोर्ट का जुर्माना भी ठेकेदार देते है इसलिए हमें शराब बेच ने में कोई डर नहीं है। असलियत में नियम यह है कि आबकारी विभाग द्वारा तय दुकानों से ही शराब की बिक्री की जा सकती है। जो डायरी को लाइसेंस मान रहे हैं,
असल में वो अवैध शराब बेच रहे हैं। मीडिया ने पड़ताल की तो पता चला अवैध शराब बेचने के लिए शहर के ठेकेदार ही सप्लाई कर रहे हैं। शहर में शराब के एक ही ठेकेदार हैं, इसलिए कारोबारी प्रतिस्पर्धा में अपने क्षेत्र में अवैध शराब खपा रहे हैं। शहर में शराब के ठेकेदार इसलिए गांव से लेकर शहर के गली और मोहल्लों में अवैध कारोबार चला रहे है, जिससे हमे मोटा मुनाफा हो सके। शिकायत के बाद प्रशासनिक अमला तो पहुंचता है लेकिन कभी भी शराब या शराबी नहीं मिलते। वही नगरीय क्षेत्र में निर्धारित रेट से भी अधिक दामों पर शराब का विक्रय शासकीय शराब दुकान से किया जा रहा है, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहा है, इसके अलावा यह ओवर रेट बिक्री का मामला पूर्व में भी सुर्खिया बटोर चुका है। ऐसे में अब यह देखना लाजमी होगा कि शराब दुकानों के संचालन में मुख्य भूमिका अदा करने वाला आबकारी विभाग क्या कदम उठाता है।