राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां जांच में दोषी पाए जाने पर जिला पंचायत के 10 कर्मचारियों की सेवा समाप्त
दमोह. कलेक्टर के आदेश के बाद जिला पंचायत सीईओ ने आज 10 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. मामला राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन में किए गए कार्यों में अनियमितता से संबंधित है.
राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के अंतर्गत कराए गए कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आने के बाद कलेक्टर के आदेश पर जिला पंचायत सीईओ अर्पित वर्मा ने 10 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. कर्मचारियों को आदेश दिया गया है कि वह विभागीय दस्तावेज आदि विभाग में जमा कर दें. निर्माण कार्यों में विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं. उनकी शिकायतें भी होती हैं लेकिन मामला किसी तरह से दबा दिया जाता है. लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसमें न केवल कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई बल्कि उन पर जांच समिति द्वारा वसूली योग्य राशि भी अधिरोपित की गई है. दरअसल जिला पंचायत के अंतर्गत आने वाले राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के तहत जिले भर में विभिन्न तालाबों का निर्माण कराया गया है. कहीं प्लांटेशन तो कहीं चेक डेम बनाए गए हैं, लेकिन इन सब में कहीं न कहीं बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गई हैं. जिसकी शिकायत होने के बाद संचालक राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन मध्य प्रदेश शासन के निर्देश के बाद मामलों की जांच समिति द्वारा जांच एवं निरीक्षण कराया गया. जिसमें कई प्रकार की अनियमितताएं सामने आने के बाद कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को आदेश दिए की सभी संबंधित अधिकारी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाए. यह पहला मौका है जब दमोह जिले में इस तरह की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है.
*क्या है मामला*
दरअसल राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के अंतर्गत जल ग्रहण मिशन के अनुराग खरे, आदित्य दुबे, कैलाश पटेल, बृजलाल अहिरवार, अरविंद पटेल, मनीष वर्मा, राजेंद्र अहिरवार, राहुल बर्दिया, जितेंद्र राजपूत एवं संजय सेन की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. यह सभी कर्मचारी वाटर शेड में समन्वयक के पद पर कार्यरत थे. जांच समिति ने पाया कि सभी कर्मचारियों ने अपने अपने कार्यक्षेत्र में अनियमितताएं की हैं. जैसे अनुराग खरे ने देवरी निजाम में बनाए गए वाटर शेड में पिचिंग एवं मिट्टी की खुदाई मानक स्तर पर नहीं की तथा उसका भुगतान भी नहीं किया गया. इन पर 36890 की राशि अधिरोपित की गई है. इसी तरह आदित्य दुबे ने अजीतपुर, निबोरा रैयतवारी पिड़रई पांजी, बेलढाना में जो वाटरशेड बनाए गए हैं उनमें प्राक्कलन के अनुसार काम नहीं किया गया. बेस्ट बीयर ऊंचाई एवं लंबाई चौड़ाई का भी हिसाब नहीं रखा तथा मनमाने तरीके से काम किया है. एक अन्य समन्वयक कैलाश पटेल ने प्लांटेशन के कार्य में चयन स्थल, समय पर प्लांटेशन न करने, वित्तीय अनियमितता तथा गुणवत्ता हीन कार्य करने का आरोप सिद्ध पाया गया है. बृजलाल अहिरवार एवं अरविंद पटेल पर ग्राम पंचायत बमनी में निर्धारित प्राक्कलन से हटकर वाटर शेड का निर्माण किए जाने का दोष सिद्ध हुआ है. इसी तरह मनीष वर्मा पर खमरिया वाटरशेड का निर्माण एवं चेक डैम के निर्माण में प्राक्कलन को न मानकर मनमाने ढंग से काम किए जाने का आरोप सिद्ध पाया गया है. राजेंद्र अहिरवार ने हर्रई के तालाब निर्माण में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं की हैं. राहुल बर्दिया ने बमनी, बेलढाना में गुणवत्ता हीन कार्य किया है. यही आप जितेंद्र राजपूत और संजय सेन पर सिद्ध पाए गए हैं. जिसके बाद जिला पंचायत सीईओ ने इन सभी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से अपना प्रभार संबंधित जनपद पंचायत सीईओ को सौंपने तथा उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं.
अभिषेक जैन सम्पादक